सार्वजनिक वस्तुओं का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Public Goods)
उत्तर- सार्वजनिक वस्तुओं का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Public Goods)
सार्वजनिक वस्तुएँ ऐसी वस्तुएँ एवं सेवाएँ हैं जो एक ही समय में कई लोगों द्वारा संयुक्त एवं समान रूप से उपभोग की जाती हैं और एक व्यक्त्ति द्वारा इसका उपभोग अन्य व्यक्ति के लिए इसकी उपलब्धता को परिवर्तित नहीं कर देता है। इन वस्तुओं का उत्पादन स्वतन्त्र बाजार कीमत निर्धारण तन्त्र द्वारा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन व्यक्तियों को जो इनकी कीमतें देना नहीं चाहते हैं, इन वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोग से रोका नहीं जा सकता। सार्वजनिक वस्तुओं एवं सेवाओं के उदाहरण ये हो सकते हैं-सार्वजनिक सड़कें, बाँध, रक्षा एवं शिक्षा सेवाएँ, आदि। प्रो जे. स्लोमैन (Sloman) के अनुसार, "सार्वजनिक वस्तुओं से अभिप्राय ऐसी वस्तु या सेवा से है जिसकी विशेषताएँ गैर-प्रतिद्वन्द्विता (non-rivalry) एवं गैर-वर्जितता (non-excludability) होती हैं और परिणामस्वरूप यह स्वतन्त्र बाजार द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी।"
आर. ए. मसग्रेव (R. A. Musgrave) के अनुसार, "सार्वजनिक वस्तुओं से आशय ऐसी विशिष्ट वस्तुओं से है, जो उपभोग में गैर-प्रतियोगी होती हैं, जिससे समाज के सभी सदस्यों द्वारा समान लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। इन वस्तुओं में उपभोक्ता की पृथकता सामान्यतः वांछनीय नहीं होती तथा अनेक दशाओं में सम्भव भी नहीं होती है।"
इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्वजनिक वस्तुओं से आशय ऐसी वस्तुओं से है जो समाज की सामूहिक आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं, जिनका मूल्य सरकार द्वारा लोक-कल्याण को ध्यान में रखकर किया जाता है। इनका उपभोग गैर-प्रतियोगी होता है, जिनमें पृथकता का सिद्धान्त लागू नहीं होता तथा जिनके भुगतान करने बाले और लाभ पाने वाले व्यक्ति भिन्न-भिन्न होते हैं।
सार्वजनिक वस्तुओं की प्रमुख विशेषताएँ
(सार्वजनिक वस्तुओं की विशेषताएँ)
इस प्रकार, सार्वजनिक वस्तुओं की निम्न विशेषताएँ हैं- Public Goods
(1) वे गैर-प्रतिद्वन्द्वी (non-rivalrous) होती है, अर्थात् उस वस्तु के उपभोग पर किसी व्यक्ति का एकमात्र अधिकार नहीं होता। किसी व्यक्ति द्वारा उपभोग की गई मात्रा दूसरे व्यक्तियों द्वारा,उपभोग की जाने वाली मात्रा को प्रभावित नहीं करती।
(2) वे गैर-वर्जित योग्य (non-excludable) होती है, अर्थात यदि कोई व्यक्ति उस वस्तु का उपभोग करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस वस्तु का उपभोग करने से रोकना सम्भव नहीं है।
(3) ये वस्तुएँ सामूहिक उपभोग की होती हैं।
(4) ये वस्तुएँ स्वतन्त्र बाजार कीमत-निर्धारण तन्त्र द्वारा उत्पादित नहीं की जा सकती।
(5) सार्वजनिक वस्तुएँ अविभाज्य (Individuality) होती हैं। इन वस्तुओं के लाभों को सामान्यतः विभाजित नहीं किया जा सकता है।
(6) किसी सार्वजनिक वस्तु का उपभोग सदैव संयुक्त एवं समान होता है। इस प्रकार, बढ़ते सामाजिक कल्याण के लिए सार्वजनिक सेवाओं का, समाज द्वारा अपनी सामूहिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादन एवं पूर्ति की जाती है।
(7) सार्वजनिक वस्तुएँ सामाजिक एवं निजी लाभों के बीच बाह्यताएँ (externalities) या भिन्नताएँ (divergencies) उत्पन्न करती हैं। (8) इन वस्तुओं का सम्बन्ध मुख्यतः साम्यवादी, समाजवादी और मिश्रित अर्थव्यवस्था से होता है।
निजी वस्तुओं का अर्थ एवं परिभाषा
(निजी वस्तुओं का अर्थ और परिभाषा)
निजी वस्तुएँ वे वस्तुएँ एवं सेवाएँ हैं जो व्यक्तिगत आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती है और प्रतिद्वन्द्विता एवं अनन्यता (exclusiveness) इनकी विशेषताएँ होती है। ये वस्तुएँ स्वतन्त्र बाजार कीमत-निर्धारण तन्त्र द्वारा उत्पादित की जा सकती है। निजी वस्तुएँ उपभोग में प्रतिद्वन्द्वी होती है, अर्थात् एक व्यक्ति द्वारा इनका उपभोग दूसरे व्यक्ति के लिए उपलब्ध मात्रा को कम कर देता है। इसके अतिरिक्त वे सभी लोग जो इसके लिए बाजार कीमत का भुगतान करना चाहते हैं, उनका उपभोग करेंगे और जो भुगतान करना नहीं चाहते, उन्हें उनके प्रयोग से वंचित किया जायेगा। निजी वस्तुएँ भोजन, वस्त्र, आवास, संचार आदि से सम्बन्धित होती हैं।
के. के. गुप्ता (K. K. Gupta) के अनुसार, "निजी वस्तुएँ वे विभाजन वस्तुएँ हैं, जिनका मूल्य बाजार में स्वतन्त्र रूप से निर्धारित होता है। इनके उपभोग में प्रतिद्वन्द्धिता रहती है, किन्तु उपभोग वही व्यक्ति कर सकता है, जिसने इसका मूल्य भुगतान किया हो।"
निजी वस्तुओं की विशेषताएँ (Characteristics of Private Goods) निजी वस्तुओं की प्रमुख विशेषताओं को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) निजी वस्तुएँ व्यक्तिगत आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं।
(2) निजी वस्तुएँ उपभोग में प्रतिद्वन्द्वी होती हैं।
(3) निजी वस्तुएँ प्रायः पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में पायी जाती हैं।
(4) निजी वस्तुएँ प्रयोग की दृष्टि से विभाज्य होती हैं।
(5) निजी वस्तुएँ स्वतन्त्र बाजार कीमत निर्धारण तन्त्र द्वारा उत्पादित की जाती हैं।
(6) निजी वस्तुओं के लिए भुगतान करने वाले एवं लाभ पाने वाले व्यक्ति एक ही होते हैं।
(7) निजी वस्तुओं में पृथकता का सिद्धान्त लागू होता है।
(8) एक अतिरिक्त उपभोक्ता के लिए किसी निजी वस्तु को प्रदान करने की सीमान्त लागत चनात्मक होती है।
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